Friday, October 31, 2008

राम अचल राजभर ने दी कानपुरवासियों को ३० नई बसों की सौगात


कानपुर से मुकेश मासूम की ख़ास रिपोर्ट

कानपुर , उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय परिवहन मंत्री राम अचल राजभर ने शुक्रवार को यात्रियों को ३० बसों की सौगात दी । इसमें 10 'पवन' और 10 'पवन गोल्ड' तथा १० अन्य बसें शामिल होंगी। परिवहन मंत्री ने दोपहर को झकरकट्टी बस अड्डे पर इन बसों को हरी झंडी दिखाई ।
क्षेत्रीय प्रबंधक डीबी सिंह ने बताया कि 'पवन' का साधारण किराया होगा, जबकि 'पवन गोल्ड' का किराया 15 फीसदी अधिक होगा।
पांच बसें गोरखपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ और पांच बसें दिल्ली के लिये चलेंगी। रायबरेली, सुल्तानपुर, लखीमपुर खीरी व आगरा के लिए दो- दो बसें चलेंगी, जबकि अन्य बसों को आवश्यकता के अनुसार किसी भी रूट पर चालाया जायेगा। इससे परिवहन मंत्री ने कानपुर वासियों का दिल जीत लिया। लोगों ने उत्साहित होकर बहन मायावती जी जिंदाबाद , बहुजन समाज पार्टी जिंदाबाद और माननीय राम अचल राजभर जिंदाबाद के नारे लगाए । इस अवसर पर सांसद श्री शुक्ला ,बहुजन्समाज पार्टी के लोक सभा प्रत्याशी सलीम अहमद और परिवहन निगम के अधिकारियों ने भाग लिया। श्री राम अचल राजभर ने अपने संबोधन में कहा की माननीय बहन जी के मार्गदर्शन पर उन्होंने बसों के किरायों में वृद्धि नहीं की है। डीजल के भाव में वृद्धि के बावजूद उन्होंने आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए किराए यथावत रखे हैं। १९७२ में परिवहन निगम की स्थापना हुई थी , तभी से लेकर परिवहन निगम घाटे में था मगर २९ जून २००७ को राम अचल राजभर ने परिवहन मंत्री का कार्यभार सम्भाला तो बहन जी के आदेश पर उन्होंने आमूल चूल परिवर्तन कर जनता के हित में नीतियाँ बनाईं । दिन रात अथक परिश्रम का यह असर हुआ की अब परिवहन विभाग को ४३.७४ करोड़ का शुद्ध मुनाफा हुआ है। राम अचल राजभर ने परिवहन मंत्री का पड़ संभालते ही बस की समय सारिणी पर ध्यान दिया, जो बसें ख़राब पडी थीं उनको दुरुस्त कराके सड़कों पर चलाया । इससे घाटे वाला विभाग भी अब मुनाफा कमा रहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने हजारों नई बसें चलाकर भी उत्तर प्रदेश की जनता को तोहफे पर तोहफे दिए हैं। सर्वजन हिताय बस सेवा शरू कीं जो निरंतर चल रहीं हैं। परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मांगे स्वीकार कर उन्होंने उनका भी दिल जीत लिया। कुछ बस महिला स्पेशल तो कुछ लो फ्लोर की बसें भी चलाई गयी हैं, ताकि बुजुर्गों, महिलाओं और विकलांगों को बस से उतारते तथा चढ़ते हुए तकलीफ न हो। दिल्ली - यूपी बस सेवा सुचारू रूप से चलाने जैसे ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम देने वाले परिवहन मंत्री विनम्रता पूर्वक इस सबका श्रेय मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती को देते हैं। उन्होंने आशा जताई की बहन जी ही देश की अगली प्रधानमंत्री बनेंगी।
प्रांत के नाम पर देश के टुकड़े मत करो- राम अचल राजभर ने मुंबई और ,महाराष्ट्र में परप्रांतीयों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुएकहा की प्रांत, जातीभाषा या लिंग के आधार पर जो लोग देश को बाँटना चाहते हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। कुछ परप्रांतीयों की ह्त्या तथा राष्ट्रीय पत्रकार संघ - मुंबई के संस्थापक दीनानाथ तिवारी पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए राम अचल राजभर ने कहा की महाराष्ट्र सरकार को तुंरत बर्खास्त करने की जरूरत है। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार दीनानाथ तिवारी के हमलावरों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।



Tuesday, October 7, 2008

हम ऐसे रिंद हैं मासूम , पीने पिलाने का हिसाब नहीं रखते

ऐरे गैरे सवाल का जवाब नहीं रखते

हकीकत में जीते हैं खाब नहीं रखते

हम ऐसे वैसे रिंद नहीं हैं मासूम जी

पीने पिलाने का हिसाब नहीं रखते

मुकेश मासूम

Friday, September 5, 2008

बेवजह लाइन मरते नहीं फिरते

हम शेखी बघारते हुए नहीं फिरते
हर कहीं पर मुंह मारते नहीं फिरते
हम भी शादीशुदा हैं ऐ मगरूर हसीनो
हर किसीको  लाइन मारते नहीं फिरते

-मुकेश मासूम

Thursday, September 4, 2008

रोने को रो लेंगे

रोने को रो लेंगे , पर रो न पायेंगे

किसी और के भी हम हो न पायेंगे

महफ़िल मुबारक हो,खुशियाँ मुबारक हो

तुमको तुम्हारी ये ,दुनिया मुबारक हो ham

chain se aise jahaan men सो न पायेंगे

Thursday, August 28, 2008

जबसे मेरे नैनों में तुम बस गए रे

जब से मेरे नैनों में तुम बस गए रे
बस गए रे

हम तो तुम से प्यार करके फंस गए रे
फंस गए रे

हमने माना यार तुमको दिल दिया था

तुम निकले गद्दार तुमने गम दिया था

दिल में लेकर दर्द हमतो हंस गए रे
हंस गए रे

हमने तुमको देवी समझा , पूजा था

और तुम्हारे दिल में कोई दूजा था

नागिन बनकर यार तुम तो दस गए रे
दस गए रे

तद्पाया बेदर्दी, तुमने दिल तोडा

पहले दिल को लूटा , फ़िर मुखडा मोडा

प्यार की मीठी चक्की में हम फंस गए रे
फंस गए रे


- मुकेश कुमार मासूम

मेरे मन को तुम तो इतना भा गए हो

मेरे मन को तुम तुम तो इतना भा गए हो

प्यार बनकर यार दिल पर छा गए हो

जब कभी यादों के पंछी गुनगुनाएं

चीरती दिल को चलें ठंडी हवाएं

ऐसा लगता जैसे की तुम आ गए हो

हर घड़ी हर हर दम तुम्हीं को देखता हूँ

मन के मन्दिर में तुम्हें ही पूजता हूँ

ऐसा जादू तुम कहाँ से पा गए हो

मैं तुम्हें मेरी जान इतना प्यार दूंगा

तेरे सदके अपना जीवन वार दूंगा

सुनकर दिल की बात क्यों शरमा गए हो

- मुकेश कुमार मासूम