Thursday, June 26, 2008

कहानी 1

काश , तुम मेरी माँ को समझ पाती...वे तो जीती- जागती देवी हैं ...मेरी किसी भी बात को मेरी माँ ने आज तक नही टाला है ..मुझे हर खुशी बख्शी है... मुझे पूरा भरोषा है किVOजरूर-जरूर मान जाएँगी ...मुझे दुनिया के तानों की भी परवाह नही है...

3 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

शुरूआत अच्छी है, बधाई।
और हाँ एक निवेदन- कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होती है।

geet gazal ( गीत ग़ज़ल ) ) said...

apka comment dekha . accha laga. thanks. mukesh masoom , mumbai

आशीष कुमार 'अंशु' said...

बधाई।