Thursday, August 28, 2008

जबसे मेरे नैनों में तुम बस गए रे

जब से मेरे नैनों में तुम बस गए रे
बस गए रे

हम तो तुम से प्यार करके फंस गए रे
फंस गए रे

हमने माना यार तुमको दिल दिया था

तुम निकले गद्दार तुमने गम दिया था

दिल में लेकर दर्द हमतो हंस गए रे
हंस गए रे

हमने तुमको देवी समझा , पूजा था

और तुम्हारे दिल में कोई दूजा था

नागिन बनकर यार तुम तो दस गए रे
दस गए रे

तद्पाया बेदर्दी, तुमने दिल तोडा

पहले दिल को लूटा , फ़िर मुखडा मोडा

प्यार की मीठी चक्की में हम फंस गए रे
फंस गए रे


- मुकेश कुमार मासूम

मेरे मन को तुम तो इतना भा गए हो

मेरे मन को तुम तुम तो इतना भा गए हो

प्यार बनकर यार दिल पर छा गए हो

जब कभी यादों के पंछी गुनगुनाएं

चीरती दिल को चलें ठंडी हवाएं

ऐसा लगता जैसे की तुम आ गए हो

हर घड़ी हर हर दम तुम्हीं को देखता हूँ

मन के मन्दिर में तुम्हें ही पूजता हूँ

ऐसा जादू तुम कहाँ से पा गए हो

मैं तुम्हें मेरी जान इतना प्यार दूंगा

तेरे सदके अपना जीवन वार दूंगा

सुनकर दिल की बात क्यों शरमा गए हो

- मुकेश कुमार मासूम










Wednesday, August 13, 2008

एक सिगरेट से

नशे की लाइफ बड़ी बेरहम होती है

दर्द और रुसवाइयों का संगम होती है

ये हम नहीं डॉक्टर कहते हैं मासूम

१ सिगरेट से ५ मिनट की जिन्दगी कम होती है

- मुकेश मासूम

Sunday, August 10, 2008

खुश रहो

खाक में दिल के टुकड़े बिखर जायेंगे

खुश रहो हम सितमगर गुज़र जायेंगे

रात दिन तेरी यादों में रोता सनम

खून से मैं दामन भिगोता सनम


प्रीत के ये मोटी अब बिखर जायेंगे

Wednesday, August 6, 2008

कभी कातिल

कभी कातिल तो कभी देवता बन जाता है

कभी दोस्त कभी बेवफा बन जाता आता है

दर्द ज़हर भी है , दर्द वों शय भी है मासूम

जब ये हद से gujrata है तो दवा बन जाता है

-मुकेश मासूम

दर्द प्राप्त करिए

अगर आप को अपनी नजदीकी दूकान में दर्द एल्बम नहीं मिल पा रही है तो यहाँ संपर्क करें -

००४, सोनम चंद्र, ओल्ड गोल्डन नेस्ट ,फेस -०१, मीरा रोड , मुंबई -४०११०७

मो - 0९३२२८८०५९९ या 09892370984

आप सुन

आप सुन रहे हैं - मासूम फ़िल्म कम्पनी की पेशकश-

दर्द

दर्द के निर्माता और गीतकार हैं -

मुकेश कुमार मासूम

दर्द को संगीत से सजाया है -

अमन श्लोक ने

दर्द को अपनी आवाज़ देकर इसे नया अंदाज़ दिया है -

अमन श्लोक , उदय नारायण और बिल्लू वारसी ने

हवा का रुख

साहिल को छूने की कसम देकर भंवर में ही कश्ती छोड़ देते हैं लोग

कोई न कोई बहाना बनाकर बहानों से ही दिल तोड़ देते हैं लोग

अरे दिल तो दिल हवा का रुख भी मोड़ देते हैं लोग
अब वों ज़माना है मासूम ,हवा का रुख भी तोड़ देते हैं लोग
- मुकेश मासूम

दर्द


मीरा रोड स्थित गीता नगर के वी एस रिकॉर्डिंग स्टूडियो में बहुचर्चित म्यूजिक एल्बम दर्द की रिकॉर्डिंग के अवसर पर संगीतकार अमन श्लोक और रिकॉर्डिस्ट राजेश यादव दिखाई दे रहे हैं। इस एल्बम के निर्माता और गीतकार मुकेश कुमार मासूम हैं । यह एल्बम मासूम फ़िल्म कंपनी के बैनर तले बनाया जा रहा है। बतादें की अब मीरा रोड में भी एक भव्य रिकार्डिंग स्टूडियो खुल गया है। स्टूडियो के मालिक वी एस बच्चन हैं।

Sunday, August 3, 2008

जां से प्यारा वतन

सब से न्यारा ये वतन,जान से प्यारा वतन
जग का उजियारा वतन,आँख का तारा वतन

धन्य हैं वों वीर जो , कुर्बान तुझ पर हो गए
हसते-हसते जो तेरी, आगोश में वो खो गए
उनकी खुशबू से ही महका ,ये मेरा सारा वतन
सब से न्यारा ये वतन,जान से प्यारा वतन

दीन है, ईमान है,मान और सम्मान है
ये ही अपनी शान है ,ये ही अपनी जान है
इस जहाँ में बांटता है,प्रेम की धारा वतन
सब से न्यारा ये वतन,जान से प्यारा वतन

एक ही जां ,एक ही खूं , एक हिन्दुस्तान है
एक हैं सब भारतवासी,एकता बलवान है
सब दिलों में बस गया है ये मेरा प्यारा वतन

सब से न्यारा ये वतन,जान से प्यारा वतन
जग का उजियारा वतन,आँख का तारा वतन

-मुकेश कुमार मासूम

दिलबर

दिल में समा जाओ ,मेरी जानआ जाओ
तुम्हें चूम लूँगा मैं , बांहों में आ जाओ
हमने यही सजनी सपना सजाया है

वतन हो आते हैं

खट्टी-मिट्ठी यादों में खो आते हैं
चलो, , वतन हो आते हैं
वतन हो आते हैं , वतन हो आते हैं

वों बचपन की यादें , जिनको तुम भूले
वों पीपल की छैया ,बागों के झूले
रो-रो डाली अब भी तुम्हें बुलाती हैं
ओ परदेशी आजा हमको तू छूले
सपनो की उन गलियों में हो आते है

रो-रो बूढे बाबा स्वर्ग सिधार गए
तक-तक बहना के नैना भी हार गए
चाची -टाई तुमको रोज़ बुलाती हैं
तुम तो ऐसे सात समंदर पार गए
कर कर तुमको याद सभी रो जाते हैं

अम्मा के हाथो के लड्डू , वों गुजिया
वों गन्ने का कोल्हू ,वों टूटी पुलिया
सपनो के वों मंज़र तुम्हें बुलाते हैं

- मुकेश मासूम

पैग दो पैग

पैग दो पैग से न बहकाओ मुझे

आज शराब से नहलाओ मुझे

मैं पीना तभी समझूंगा मासूम

होश में ला-लाके पिलाओ मुझे

- मुकेश मासूम

Friday, August 1, 2008

दर्द



लो ज़हर अपने हाथों से पिला दीजेये
या जियें किस तरह ये बता दीजेये
कब्र में सब्र से फ़िर मैं सी जाउंगा
पहले थोडा सा तुम मुस्करा दीजेये



हंसकर दिल पर ज़ख्म खाए बेवज़ह
हमने दुश्मन दोस्त बनाए बेवज़ह
यूँ मिटाना था अगर गुलशन तुझे
फ़िर क्यूँ तूने गुल खिलाये बेवज़ह



मय्यत न उठाएं ,रुक जाएँ , कहदो ये ज़माने वालों से
कहदो की अभी कुछ देरी है , मेरी चिता ज़लाने वालों से



यूँ नमक न छिड़को ज़ख्मों पर बेदर्द सनम बेदर्दी से
हमें मौत ही दे दो ऐ मालिक , जीने की इस सरदर्दी से



प्यार का वादा करके मुकरना , सर कसम अपनी आदत नहीं है
ये है धोखा सरासर मेरी जान , ये दोस्तों की शराफत नहीं है



है दिल की तमन्ना मर जाएँ , जीने की कसम क्यों देते हो
हम छोड़ चुके हैं जिस म य को , पीने की कसम क्यों देते हो



वादे भी दोस्तों ने क्या खूब निभाये हैं
ज़ख्म मुफ्त,दर्द तोहफे में भिजवाये हैं
इस से बढ़कर वफादारी की मिसाल क्या होगी
मौत से पहले ही वे कफ़न लेके आए हैं



किसको तलाश कर रहा हूँ आजकल
जीते जी क्यों मर रहा हूँ आजकल
कौन है वों जिसकी खातिर रात दिन
डर बदर मैं फ़िर रहा हूँ आजकल



काटकर कहते हैं की उड़ जाएये
दर्द देकर कहते हैं की मुस्कराईये
कोई अदा तो देखे सितमगर की
डर से ठुकराके कहते हैं रुक जाएये

१०

इस कदर हालत ने कमतर बना दिया
सब लोग ठुकराने लगे पत्थर बना दिया
उड़ने का देके मशविरा धाये हैं ये सितम
काट करके पर मेरे बेपर बना दिया

११

मैंने थोडी सी पी और बहकने लगा , तुम जो बहके तो तुमको सभालेगा कौन
ये ज़वानी नहीं ये है एक म य कदा , मयकदे से तुम्हें फ़िर निकालेगा कौन

१२

उठा बोतल पिला साकी लगाके म य को सीने से
ये दारू लाख बेहतर है किसी का खून पीने से

१३

रूठना , रूठके हसने की अदा ने मारा है
हाँ हमें खामोशियों की सदा ने मारा है
गैरों की बेवफाई तो छोडिये मासूम
हमें तो अपनों की वफ़ा ने मारा है

१४

मेरी जान निकलने वाली है सांसों की दशा बदहाल में है
उसे ख़बर करो कोई जकर्के वह सनम मेरा ससुराल में है

१५

हमसे ज्यादा तुम तद्पोगे , हमको अगर तद्पाओगे
जितना चाहो भूलके देखो लेकिन भूल ना पाओगे
हम तो हैनेक बलि का बकरा , चाहे जितने ज़ुल्म करो
हम न रहे अगर बेदर्दी , फ़िर तुम किसे सताओगे

१६

उन्हें क्या मालूम की गम क्या होता है
टूटा हुआ दिले हमदम क्या होता है
उन्हें तो आता है सिर्फ़ ज़ख्म देना
उन्हें क्या मालूम की मरहम क्या होता है

१७

लो , उधादो कफ़न दोस्तों अब , चल पड़े हम भी जालिम जहाँ से
शौक़ से अब रचालें वों शादी ,कुछ न बोलेंगे अब तो जुबान से

१८

उसका वादा था वादे पे आया नहीं, करके वादा-ऐ-उल्फत निभाया नहीं
हमको शिकवा न होता बताते अगर , प्यार उनको हमारा ये भाया नहीं

१९

पास होकर आपसे हम दूर हैं बहुत
हालत के सितम से मजबूर हैं बहुत
मासूम हमको इतनी न दीजेये सज़ा
हम गुनाहगार कम बेक़सूर हैं बहुत

२०

जानम तुम्हारी याद में जगता रहा मैं रात भर
आसमान के तारों को ताकता रहा मैं रात भर
देखकर सूरत हसीं कभी हस दिया, कभी रो दिया
इस कदर जीता भी और मरता रहा मैं रात भर

२१

जिस बात को गए थे वों बात नहीं हो पाई
मुलाक़ात की तमन्ना थी मुलाकात नहीं होपाई
बरसात का गुमान था की अंगारों पर कूद पड़े
जिस्म सुलगता रहा , बरसात नहींहो पाई

२२

मोहब्बत को सूली चधादी जहाँ ने ,अदालत में अब क्या रखा है ऐ लोगो
उधादों कफ़न अब बना करके अर्थी ,क़यामत में अब क्या रखा है ऐ लोगो

२३

क्या कहें हालत अपनेदोस्तों
ज़ख्मी हैं ज़ज्बात अपने दोस्तों
गर्दिश-औ-नाकामियों के साथ-साथ
दर्द भी है साथ अपने दोस्तों

२४

लो ये तुम्हारा शहर छोड़ करके ,चले जा रहे हैं
चले जा रहे हैं
ठोकर न मारो ये डर छोड़ करके ,चले जा रहे हैं
चले जा रहे हैं

२५

आज फ़िर अश्क अपने बहायेंगे हम
लाख चाहें तो न रोक पाएंगे हम
सदियों पहले तमन्ना थी सेरे चमन
आज ख़ुद वों तमन्ना जलाएंगे हम

२६

मिला क्या ऐ ज़माने , हमारा दिल जलाके
मिटाया हमको आख़िर , हसीं सपने जलाके
अरे ओ बागवान सुन मसल ऐसे न कलियाँ
चमन सींचा है हमने लहू अपना पिलाके

२७

तुमको अहले -वफ़ा समझा था
सारे ज़माने से जुदा समझा था
तू भी बेवफा निकला मासूम
तुझे तो हमने खुदा समझा था

२८

प्यार करना भी खता है यहाँ
वफ़ा करना भी सज़ा है यहाँ
दुनिया में वाही सुखी है मासूम
जिनकी फितरत में दगा है यहाँ

- मुकेश मासूम


































































































मैं पी के टट्टू हो गया

मस्त- मस्त तेरे जोवन पे , मेरा दिल भी लट्टू हो गया ।

मैं पी के टट्टू हो गया, मैं पी के टट्टू हो गया ।

तेरे नैन कंटीले कजरारे , तेरे यौवन के फल गदरारे

इस गाँव के छोरे इब सारे ,तेरे इश्क में हो गए मतबारे ,

तेरे हुस्न का चखना चख-चख के ,अब मैं भी चट्टू हो गया।

तेरी टूनढी में लटके छल्ला ,मेरी जान लगे तू रसगुल्ला ,

इस गाँव में मच गया है हल्ला, आ प्यार करें खुल्लम-खुल्ला ,

सब पीकर हैं तुल्लम-तुल्ला , मैं मन से मिट्ठू हो गया।

सब आँख सेकते हैं क्वारे , रडू अन के वारे के न्यारे

तू बीअर खोल अरे प्यारे, बुद्धे भी जवानी में आरे

तेरे जिस्म से जानूं सतसत के ,अब मैं भी सत्तू हो गया

हुक्के पे हुक्का बजा रहे, बोतल पर बोतल मगा रहे

सुट्टे पे सुट्टा लगा रहे , और बिन पानी ही पिला रहे

बारात में आ-आ कर भइया , मासूम निखट्टू हो गया



- मुकेश मासूम