कभी कातिल तो कभी देवता बन जाता है
कभी दोस्त कभी बेवफा बन जाता आता है
दर्द ज़हर भी है , दर्द वों शय भी है मासूम
जब ये हद से gujrata है तो दवा बन जाता है
-मुकेश मासूम
Wednesday, August 6, 2008
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तुझको अहले वफ़ा समझा था सारे जमाने से जुदा समझा था तू भी बेवफा निकला मासूम तुझे तो हमने खुदा समझा था
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