मेरे मन को तुम तुम तो इतना भा गए हो
प्यार बनकर यार दिल पर छा गए हो
जब कभी यादों के पंछी गुनगुनाएं
चीरती दिल को चलें ठंडी हवाएं
ऐसा लगता जैसे की तुम आ गए हो
हर घड़ी हर हर दम तुम्हीं को देखता हूँ
मन के मन्दिर में तुम्हें ही पूजता हूँ
ऐसा जादू तुम कहाँ से पा गए हो
मैं तुम्हें मेरी जान इतना प्यार दूंगा
तेरे सदके अपना जीवन वार दूंगा
सुनकर दिल की बात क्यों शरमा गए हो
- मुकेश कुमार मासूम
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