ऐरे गैरे सवाल का जवाब नहीं रखते
हकीकत में जीते हैं खाब नहीं रखते
हम ऐसे वैसे रिंद नहीं हैं मासूम जी
पीने पिलाने का हिसाब नहीं रखते
मुकेश मासूम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तुझको अहले वफ़ा समझा था सारे जमाने से जुदा समझा था तू भी बेवफा निकला मासूम तुझे तो हमने खुदा समझा था
2 comments:
भई वाह मासूम जी,
पीने-पिलाने का हिसाब रखना भी नहीं चाहिये...
जै हो..........
aapka aabhari hu sir ji, aur apki rachnaon ka prashanshak bhi . shukriya
Post a Comment