Sunday, July 13, 2008

पर काटकर कहते हैं की उड़ जाइये

पर काटकर कहते हैं की उड़ जाइये





पर काटकर कहते है की उड़ जाइये
दर्द देकरके कहते हैं मुस्कराइए


कोई अदा तो देखे सितमगर की
दरसे ठुकराके कहते हैं रुक जाइये


ना आने की दी थी जिन्होने कसम,
कह रहे हैं वही अब चले आएये


डुबो करके कश्ती को मझधार में,
बेवफा कह रहे हैं सभल जाइये


ज़ख्म देकर न छिडकें नमक दोस्तों,
हुस्नवालों को इतना तो समझाइये



-मुकेश कुमार मासूम



3 comments:

Anonymous said...

bhut sundar gajal. ati uttam.

geet gazal ( गीत ग़ज़ल ) ) said...

apko ye gazal sundar lagi, apka abhar vyaqt karta hoo. koshish karunga ki isse jyada accha likh pau. apki zarra- navazi ka intzar rahega.

रश्मि प्रभा... said...

are wah,bahut hi sundar