सब भाड़ में जाए प्यार-वफ़ा,हमें खाक में इसने मिला दिया ।
जब तक न लगाया था दिल को,आजाद और खुशहाल थे हम,
दिन -रात चैन से कटते थे ,न अब की तरह बदहाल थे हम,
तौबा ,इस प्यार ने होते ही , जीना-मरना सब भुला दिया ।
माँ -बाप भुलाये घर छोड़ा,जिस हुस्न्परी की चाहूं में ,
हमें भूलके वो ही झूल रही,अब गैर सनम की बांहों में,
इस रोग ने चैन उड़ा डाला, इस रोग ने पागल बना दिया।
- मुकेश कुमार मासूम
सूचना- ये सभी गीत-ग़ज़ल -कहानियाँ दी फ़िल्म रायटर्स असो; द्वारा पंजीकृत हैं । इनका व्यापारिक उपयोग कानूनी तरीके से वर्जित है...
2 comments:
sundar gajal ke liye badhai.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.
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